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कुछ आशाएं : कुछ उम्मीदें- डा. अंजु लता सिंह

कुछ आशाएं कुछ उम्मीदें ,हैं मुझको इस नए साल से।

चलूं वक्त के साथ सदा ही,कदम मिलाऊं विकट-काल से।।

अपनों से भरपूर मिलूंगी,सुरभित गुल सी सदा खिलूंगी ।

सत्कर्मों के पथ पर चलकर, दीपशिखा सी मौन जलूंगी ।।

सुख-वैभव झोली में भरकर,बांटूंगी खुशियां ही खुशियां।

रिश्तों की डोरी ना टूटे,घर-आंगन की महके बगिया।।

जल, भोजन, आवास, वसन दीनों तक पहुंचाना होगा।

उदासीन सब मायूसों पर  नेह-अमिय बरसाना होगा।।

सक्षम पाखी स्वकौशल से नित ऊंची परवाज भरेंगे।

नए सृजन की गरिमामय परिपाटी का आगाज़ करेंगे।।

दृढ़-संकल्प लिया है मैंने,’समय-चक्र’ के साथ चलूँगी।

सुख-दु:ख के सोपानों पर,संयम से ही कदम रखूंगी।।

जनसेवा के काम करुँगी,मानवता का धर्म निभाकर।

कंटक-पथ को पार करुंगी,बाधाओं से न घबराकर।।

शब्दों के अनुपम प्रकाश से,सुप्त चेतना को जगाऊंगी।

नए वर्ष के मधुर-मधुर पल सबकी झोली में सजाऊंगी।।

– डा. अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

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