बात कमी की सब करते हैं, नहीं ढूढते खूबिया ।
क्षमताओं पर ध्यान न देते , व्यक्त करें मजबूरिया।
ईश्वर ने जो हमें दिया है, सदुपयोग उसका करें।
आलस अरि का दमन करें हम ,मात्र लक्ष्य को हृद धरें।
दूर नहीं तब मंजिल होगी , पथ देंगीं कठिनाइयॉ॑ ……..।
अगर लालसा भौतिक सुख की , बनी रहेगी पास में।
चंचल मन विश्वास रखेगा , केवल भोग विलास में।
सुयश मार्ग अवरुद्ध करें , प्रायः भोगी इन्द्रिया …….. ।
भेजा क्यों ईश्वर ने हमको, चिंतन होना चाहिए।
काया की सार्थकता को ही,अपना लक्ष्य बनाइए।
याद रहे निज धर्म हमें तो , हरि से हों नजदीकिया …….. ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश