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ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर

एक छोटी बात पर अपना तो याराना गया ।

दोष उसका था मगर उसका नहीं माना गया ।

 

वो कभी आता इधर तो मैं कभी जाता उधर ,

साथ पीते थे कभी वो ख़ास मयखाना गया ।

 

चोर की दाढ़ी में तिनके की कहावत सिद्ध है ,

राजधानी में भी ऐसा चोर पहचाना गया ।

 

सौ किलो के आदमी को मौत ने ऐसा ठगा,

दो किलो हड्डी बचीं जब राख को छाना गया ।

 

एक चादर प्रेम की बुनने की चाहत थी मुझे ,

गांठ धागों में लगी तो टूटता ताना गया ।

 

गीत ग़ज़लों का तो मेरे पास में भंडार है ,

मंच के बाजीगरों तक ये न परवाना गया ।

 

छंद में ताकत अधिक है तीर से तलवार से ,

कवि जहां पहुँचा नहीं लेकिन वहां गाना गया ।

 

लोग जाते घूमने बैंकाक,इटली फ्रांस को ,

सरफिरा ‘हलधर’ शराबी घूमने घाना गया ।

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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