मनोरंजन

कान्हा – सुनील गुप्ता

( 1 )” का “, कायल

हूँ कान्हा तेरा,

देख रूप अनूप, सुंदर प्रभु सा !

श्रीहरिकृपाएं नंदकिशोरजी को मिल रहीं.,

और घर चले आए, स्वयं श्रीगोपाल प्यारे !!

( 2 )” न् “, न्यारे

हो अति प्यारे,

दुलारे हो, हम सभी के  कान्हा  !

चले आए, लेकर अनमोल उपहार…,

आ खिला रहे, हम सबकी मन बगिया !!

( 3 ) ” हा “, हारे

के तुम सहारे,

है जीवन श्रृंगार,  कान्हा तुम्हीं से  !

भला हो, श्रीप्रभु परमेश्वर का….,

कि जिसने, मिलाया हमें यहाँ तुमसे  !!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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