सुखदाई नववर्ष मनोहर।
मन झूमें आनंदित होकर।।
हर कोई दिखता है तत्पर ।
खुशहाली जीवन में मनहर।।
कणकण रंगों से आक्षादित।
तन-मन गीतों से आल्हादित।।
पुलकित परिलक्षित है दुनिया।
सुर-ताल मिलावें पैजनियाँ।।
स्वागत में धरती है ठारी।
मन मोहे फूलों की क्यारी।।
हर होठों पर दमके लाली।
पग-पग शोभे है हरियाली।।
नव गीतों का ताना-बाना।
जग झूम रहा हो मस्ताना।।
सब देख रहें आना-जाना।
नववर्ष लुटाये नजराना।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड।