मनोरंजन

मेरी खुशियाँ – सुनील गुप्ता

मेरी खुशियाँ

प्रिय अप्रतिम पोतियाँ   !

चलें सपनों को ….,

साकार करती बेटियाँ  !! 1 !!

 

देखूँ इनको

पुष्पित-पल्ल्वित होते  !

चलूँ भाग्य पे. ….,

नाज़ अभिमान करते !! 2 !!

 

होता वृहत

विस्तार खुशहाल परिवार   !

श्रीहरि का वरदहस्त ….,

मिलती दुआएं अपार  !! 3 !!

 

लग जाए

इन्हें मेरी उमरिया  !

सदैव ये मुस्कुराएं …..,

चलें बिखेरती खुशियाँ !! 4 !!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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