मनोरंजन

आँखें – रोहित आनंद

चांदनी रात में चमकी आँखें,

दिल को बेचैन कर गई।

शाम की तन्हाई में खो गया,

वो हुस्न की रंगीन कर गई।

 

मुस्कान की चमक से रोशन हुआ,

दिल का अंधेरा दूर कर गई।

वो सुर्ख लबों की मुस्कान से,

मेरी जिंदगी को रंगीन कर गई।

 

वो शोखियों से भरी निगाहें,

मुझे अपने प्यार में डूबा गई।

वो मेरी जिंदगी को संगीन कर गई,

और मुझे अपने प्यार में बाँध गई।

रोहित आनंद ,बांका, डी. मेहरपुर, बिहार

Related posts

लुप्त होती हरियाणा की अनमोल विरासत रागनी कला – डॉ. सत्यवान सौरभ

newsadmin

कविता – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

कविता – अशोक कुमार यादव

newsadmin

Leave a Comment