मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

हाय दिल मेरा डरा जब देखूँ तेवर तेरा,

यार होगा  संग कैसे अब गुजर तेरा।

 

प्यार सच्चा वो करे, सबकी दुआ माँगे,

क्या हसीं लगता वो दस्ते अब हुनर तेरा।

 

प्यार मे डूबा अब लगे दीवाना सा मुझको,

हाय कैसे मैं छिपाऊँ ये अधर तेरा।

 

आपने जो गजल भेजी थी मुझे वो कल,

सच था लगता आज इक जेरो-ज़बर तेरा।

 

आज लेटा हुँ मैं घर नाकाम सा होकर,

याद मुझको ऋतु बहुत आता शहर तेरा।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

Related posts

सी क्यू एम एच अब्दुल हमीद,परम वीर चक्र (मरणोपरान्त) – हरी राम

newsadmin

निभाया बहुत है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

मेरा अभिमान हिन्दी – ऋतुबाला रस्तोगी

newsadmin

Leave a Comment