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वक्त करे है फैसला – डॉo सत्यवान सौरभ

झूठे रिश्ते वह सभी, है झूठी सौगंध।

आँसूं तेरे देख जो, कर ले आंखें बंद॥

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रख दे रिश्ते ताक पर, वह कैसे बदलाव।

साजिशकारी जीत से, सही हार ठहराव॥

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धन-दौलत से दूर हो, चुनना वह जागीर।

जिन्दा रिश्ते हों जहाँ, सच की रहे नज़ीर॥

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बस छोटी-सी बात पर, उनका दिखा चरित्र।

रिश्ते-नाते तोड़ कर, हुए शत्रु के मित्र॥

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रिश्ते नाते तोड़कर, ख़ूब रची पहचान।

रहने वाला एक है, इतना बड़ा मकान॥

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रिश्तों के भीतर छुपे, मुश्किल बड़े सवाल।

ना जाने किस मोड़ पर, विक्रम हो बेताल॥

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आये दिन ही टूटती, अब रिश्तों की डोर।

बेटी औरत बाप की, कैसा कलयुग घोर॥

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रिश्ते-नातों का भला, रहे कहाँ फिर ख़्याल।

कामुकता का आँख पर, ले जो पर्दा डाल॥

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रिश्ते अब तो डूबते, छोड़ बीच मँझदार।

कागज़ की कश्ती चले, सोचो कितनी बार॥

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मतलब के रिश्ते कभी, होते नहीं खुद्दार।

दो पल सुलगे कोयले, बनते कब अंगार॥

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रिश्ते जुड़ते हों जहाँ, केवल धन के संग।

उनके मन में प्यार का, कोई रूप न रंग॥

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मंत्र प्यार का फूँकते, दिल में रखते घात।

रिश्ते क्या बेकार है, करना उन से बात॥

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कहाँ मनों में भावना, कहाँ दिलों में प्यार।

रिश्ते ढूँढें फायदे, मानो कारोबार॥

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हाथ मिलाते गैर से, अपनों से बेज़ार।

‘सौरभ’ रिश्ते हो गए, गिरगिट से मक्कार॥

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छोटी-मोटी बात को, कभी न देती तूल।

हर रिश्ते को मानती, बेटी करे न भूल॥

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कोख किराये की हुई, नहीं पिता का नाम।

बिकते रिश्ते अब यहाँ, बिल्कुल सस्ते दाम॥

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भाई-चारा प्रेम हित, रिश्ते हैं बीमार।

दु:ख-सुख की बातें गई, गया मनों से प्यार॥

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सील गए रिश्ते सभी, बिना प्यार की धूप॥

धुंध बैर की छा रही, करती ओझल रूप॥

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सुख की गहरी छाँव में, रिश्ते रहते मौन।

वक्त करे है फैसला, कब किसका है कौन॥

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लेकर पैसे गाँठ में, कहता ख़ुद को धन्य।

सोचो कितने खो दिए, रिश्ते यहाँ अनन्य॥

– डॉo सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,01255281381

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