आओ
बनें मुक्ताभिमानी,
करें न कभी यहाँ पर अहम् !
और बने रहें जीवन में स्वाभिमानी….,
चलें छोड़ते ज्ञान, अहंकार का वहम !! 1!!
चलें
नित्य देखें,
हम स्वयं को स्वयं से !
और चेतनता का ध्यान करते….,
सदैव उतरते चलें, अंत:करण में !! 2!!
मोह
आसक्ति में,
हम न कभी यहाँ डूबें !
और स्वयं का आत्मदीप जलाते….,
बनें रहें विशुद्ध, मनभावों के सागर में !! 3!!
मिले
सुख शांति,
परम आनंद की अनुभूति होए !
और चलें श्रीहरि से, साक्षात्कार करते..,
शनै: शनै: जीवन मोक्ष की ओर बढ़ें !! 4!!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान