( 1 )” ज “, जय-जय
जय, जगत पिता जगदीश,
सदैव बनाए चलें, अपनी कृपाएं !
और नित्य करते, आपकी प्रार्थना स्तुति…,
वरदहस्त रखते, चलना बरसाए दुआएं !!
( 2 )” ग “, गज-ग्राह
से बचाए चलें श्रीहरि ,
और करें जय-विजय, भक्तों का उद्धार !
चलें देते, सदैव अपनी आशीष दुआएं…,
हम भक्तों पे, बनाए रखें कृपाएं अपार !!
( 3 )” दी “, दीन- बंधु
कृपा सागर हे जगदीश,
विद्या बुद्धि, बनाए रखना सदविवेक !
और आप ही हो, सकल जगत के तारणहार,
आप की दुआओं से, होते चलें काम नेक !
( 4 )” श “, शक्ति-भक्ति
प्रेम आनंद भरते चलें,
करें नित आरती, श्रीजगदीश की और संकीर्तन !
हो आप ही प्रभु, हमारे एकमात्र दातार.,
चलें करते आपको, नित प्रणाम वंदन नमन !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान