मनोरंजन

अधरों पे निशानी छोड़ गए – सविता सिंह

वो जो गए तो एक रवानी छोड़ गए,

अव्यक्त कितनी सारी कहानी छोड़ गएI

 

आएँगे ख्वाबों में वो हर वक्त अब मेरे,

ऐसी कई यादें रूहानी छोड़ गएI

 

कुछ कहना है उन्हें कहा था ऐसा ही ,

ना जाने वो बात क्यों बतानी छोड़ गएI

 

लटों की गिरहें सुलझाते थे सदा ही,

उलझी लटों को सुलझानी छोड़ गए I

 

उन बिन जीना दुश्वार हुआ अब मीरा,

अधरों पे वो अपनी निशानी छोड़ गएI

– सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

Related posts

ट्रेनों के माध्यम से हजारों निर्दोषों की जान से खिलवाड़ का षडयंत्र – मनोज कुमार अग्रवाल

newsadmin

ग़ज़ल – शिप्रा सैनी

newsadmin

झूठा निकला तुम्हारा प्रेम – विनोद निराश

newsadmin

Leave a Comment