दीया माटी का जले, रौशन हो घर द्वार।
जीवन भर आशीष दे, तुम्हे खूब कुम्हार।।
दीया बाती ने किया, प्रेमपूर्ण व्यवहार।
जगमग हुई मुँडेर है, प्रकाशमय घर द्वार ।।
दीया -बाती- सी परी, तेरी -मेरी प्रीत।
हर्षित हो उल्लास उर, गाये मिलकर गीत।।
दीया में बाती जले, पावन ये व्यवहार।
अन्तर्मन उजियार ही, है सच्चा श्रृंगार।।
सदा शहीदों का जले, इक दीया हर हाल।
मने तभी दीपावली, देश रहे खुशहाल ।।
दीया- बाती- सा बने, आपस में विश्वास।
चिंता सारी दूर हो, खुशियां करे निवास।।
तपती बाती रात भर, लिए अटल विश्वास।
तब जाकर दीया भरे, है आशा उल्लास।।
दीये सा जीवन करे, इस जगती के नाम।
परहित हेतु जो है मिटे, जीवन उनका धाम।।
दीया माटी का जले, रौशन हो घर द्वार।
जीवन भर आशीष दे, तुम्हे खूब कुम्हार।।
– डॉo सत्यवान सौरभ , 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148, 01255281381