मनोरंजन

मेरा विलय – सविता सिंह

मेरा निलय

तुझ में विलय

तेरे वक्ष वलय

के गिर्द रहूँ|

तेरे ही पृष्ठ पर

बंशी जैसे

बन वात मै

बहती ही रहूँ|

यमुना के तीर

चले मंद समीर

छूकर तुझको

मचलती रहूँ|

कभी बन सुमन

अपने ही पाश

परागकण

पिलाती रहूँ|

कभी मंदिर में

वृषभानुजा सा

संग तेरे ही

पूजाती रहूँ |

आये जो फाग

बनूँ लाल गुलाल

रंग में अपने

रंगती रहूँ |

जो हो ओझल

नैन हो सजल

बनकर संजय

तुझे देखती रहूँ |

तू राधामय

वो कृष्णमय

मेरा तो बस

ये है आशय

तेरे वक्ष वलय में

कान्हा हो मेरा भी विलय |

– सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

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