( 1 )” को “, कोई
नहीं है, आसपास इसके,
ग्राहक सेवा में है, ये बैंक आगे !
और हैं इसकी, उन्नत बैंकिंग सेवाएं,
जो बनाएं इसे भारत में आगे ही आगे !!
( 2 )” ट “, टक्कर
में नहीं कोई बैंक,
स्वयं से ही करे, प्रतिस्पर्धा यहाँ !
और रहे अद्यतन, तकनीकी में आगे.,
दे तेज, भरोसेमंद सेवाएं सदा !!
( 3 )” क “, कम
समय में, शिखर छुए,
चले सफलता का ये, परचम लहराए !
और वंदन करते, उदय कोटकजी का…,
देते ढेरों इन्हें बधाई व शुभकामनाएं !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान