मनोरंजन

गीत – ऋतुबाला रस्तोगी

नहीं डरेगा  कोई उससे,

जिस पर कंठी माला हो।

तभी त्रिपुण्ड सजेगा माथे ,

जब हाथों में भाला हो।

 

सर से ऊँचा जब चढ़ जाए,

पानी भी स्वीकार नहीं,

सत्य अहिंसा पर चलते हैं,

किन्तु हुए लाचार नहीं।

धर्म ध्वजा के वाहक हैं हम,

करते अत्याचार नहीं।

करुणा तभी सुशोभित हो जब,

हृदय धधकती ज्वाला हो।

 

हमने शेरों के दाँत गिने ,

हमसे विषधर हैं हारे।

शास्त्र धर्म की रक्षा हेतु,

शस्त्र राष्ट्र रक्षा धारे ।

महल छोड़कर जंगल जंगल,

फिरते थे मारे मारे,

आए धर्म क्षेत्र में वह ही,

जो उसका रखवाला हो।

 

विषपान किया था कर लेंगे,

मानवता की रक्षा को।

मत छेड़ो के विषधर हैं हम,

सजग सदा प्रतिरक्षा को।

आजादी की धुन  के पक्के,

करे उपाय सुरक्षा को।

मिटने को तैयार देश पर,

गोरा हो या काला हो।

-ऋतुबाला रस्तोगी, चाँदपुर ,

बिजनौर उत्तर प्रदेश

Related posts

दीया माटी का जले – डॉo सत्यवान सौरभ

newsadmin

ग़ज़ल – विनोद निराश

newsadmin

गर्वित आज धरा है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

Leave a Comment