मनोरंजन

ग़ज़ल – भूपेन्द्र राघव

तेरे   पैर  फफोले  हैं,

मेरे   पैर  फफोले  है।

जीवन लक्ष्मनझूला  हैं,

हिचकोले हिचकोले हैं।

कौन तराजू  देखा  है,

दर्द  किसी ने तोले हैं।

उंगली जितने उठा रहे,

अपने  गले  टटोले हैं।

आस्तीन झटकायी  तो,

निकले खूब सपोले  हैं।

अपनेपन  के ताले  थे,

दुःख दर्दों  ने खोले हैं।

ऊपर से जो ठोस दिखे,

राघव  रिश्ते  पोले हैं।

– भूपेन्द्र राघव, खुर्जा, उत्तर प्रदेश

Related posts

आगे पोरा के तिहार – अशोक यादव

newsadmin

गीत – मधु शुक्ला

newsadmin

संभाल लेना – राजीव डोगरा

newsadmin

Leave a Comment