मनोरंजन

विजया दशमी (गीत) – मधु शुक्ला

विजया दशमी पर्व हमें यह, याद दिलाने आता है।

सच पर आँच नहीं आती है, झूठ नष्ट हो जाता है।

 

दुर्योधन ने मार्ग चुना जब, त्याग नीति हठधर्मीं का।

वंश पतन के साथ ताज वह, पहना तब दुष्कर्मी का।

सच है मन को करनी का फल, अंत समय तड़पाता है….।

 

रावण जैसा ज्ञानी जग में, नामुमकिन मिल पाना था।

किन्तु अहं ने उसको अपयश,के घर दिया ठिकाना था।

यश को चकनाचूर करे मद, वक्त हमें बतलाता है…..।

 

सद् ग्रंथों का सारांश हमें, बात  यही  समझाता  है।

सत्य, न्याय के पथ का राही, कभी नहीं पछताता है।

रामचन्द्र के गुण सारा जग , इसीलिए तो गाता है…..।

– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

माँ चतुर्थ रूप कुष्मांडा – कालिका प्रसाद

newsadmin

गणेश चतुर्थी – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

प्रतिभा सम्पन्न साहित्य साधक हैं डॉ. धर्मवीर भारती – डॉ. परमलाल गुप्त

newsadmin

Leave a Comment