नौ दिन के उपवास का, हुआ समापन आज।
श्रद्धा और विश्वास से, पूर्ण हुए सकब काज।
माता फिर से दें दरश, मन में यही विचार।
मन से हम पूजा करें, लें हर लोक सुधार।।
हर प्राणी होवे सुखी, सब पाएं घरबार।
माँ तेरा आशीष पा, हो कृतार्थ संसार।
तेरी पूजा अर्चना, हो सबका अधिकार।
आये हम तेरी शरण में, ओ माँ पालनहार।
शक्ति पूज कर राम ने, लिया दशानन जीत।
मुक्त कराया जानकी, दिन यह बड़ा पुनीत।।
तीनों लौटे जब अवध, सबके हृदय उछाह।
दीप जले हर द्वार पर, बहता हर्ष प्रवाह।।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, उत्तर प्रदेश