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ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधर

राजनेता देखिए तो किस क़दर  जिद पर अड़े हैं ।

राजगद्दी के लिए आतंकियों के पग पड़े हैं ।

 

वो भला कैसे पढ़ेंगे पेट का भूगोल मेरा ,

मेज पर जिनके सजे कुछ योजना के आंकड़े हैं ।

 

देश की सरकार तो बस एक खंबे पर टिकी है,

और खंबे तो यहां बस जी हुजूरी में खड़े हैं ।

 

प्रेम की बरसात देखो हो रही घुसपैठियों पर ,

युद्ध की चेतावनी पर सो रहे चिकने घड़े हैं ।

 

मूल्य निर्धारण में देखो खामियां ही खामियां हैं ,

सौ टमाटर बिक रहे हैं चार दिन पहले सड़े हैं ।

 

खेत में फांसी लगाकर क्यों मरे हल्कू ,फकीरा ,

मंडियों के आढ़ती ने व्याज के कब्जे जड़े हैं ।

 

ठोकती सरकार दावा आय को दुगनी करेगी ,

घाव “हलधर”इस सदी के गत सदी से भी बड़े हैं ।

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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