मनोरंजन

गजल – रीता गुलाटी

ये धड़कन मेरी गुनगुनाती है क्या-क्या,

मेरे दिल की बातें तू सुनती है क्या-क्या।

 

खबर अब कहाँ यार कैसे कटेगी,

कि खुश फहमियां भी बढ़ी है क्या-क्या।

 

वो  जीता न हमसे है मलाल हमको,

अरे सोचती यार  हारी है  क्या-क्या।

 

जो डूबा है दरिया मे इश्के-मुहब्बत,

मिला सब उसे अब कमी भी है क्या-क्या।

 

कहे.. शेर ..मैने वो मकबूल होते,

मेरी शख्सियत आज बढ़ती है क्या-क्या।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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