लाश देख आखें भर आयी , सीने में अंगारे हैं ।
चिड़िया पर कालेज परिसर में बाज झपट्टा मारे हैं ।।
बेबस औ लाचार कली को,तोड़ा है हत्यारों ने ।
बंगाली धरती पर पनपे ममता के मक्कारों ने ।
किसको दोषी मानें इसमें ,नेता या शहजादों को ।
भ्रष्टाचारी सरकारों को , या दल्ले जल्लादों को ।
जलती चिता गवाही देती ,लपटों में यलगारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।1।।
छोटी छोटी घटनाओं पर, आधी रात जगाते जो ।
जालिम नेता कहाँ गए हैं न्यायालय खुलवाते जो ।
कोई अंतर नहीं दिखा हमको सरकारी भाषा में ।
कोयल उत्तर खोज रही है कौओं की परिभाषा में ।
फांसी तुरत लगाओ उनको जो जालिम हत्यारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।2।।
बंगाली धरती पर घृणित ये अपराध किया किसने ।
ममता दीदी का जीते जी पोषित श्राद्ध किया किसने ।
देख देख कर इस घटना को, गंगा भी रोयी होगी ।
कलकत्ता वाली काली,क्रोधित आपा खोयी होगी ।
चीख मोमिता की सुन सुन कर रोए सिंधु किनारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।3।।
चौराहों पर मोम जलाकर ,जमकर शोर मचाओ अब ।
केंद्र राज्य की खींचतान, अखबारों में छपवाओ अब ।
बिटिया की अस्मत पर देखो चैनल कैसे बोलेंगे ।
शव विच्छेदन की आख्या को, विज्ञापन में तोलेंगे ।
ममता की सत्ता ने खुलकर अपराधी पुचकारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।4।।
(बंगाल की डॉ मोमिता हत्याकाण्ड पर आधारित )
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून