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चिट्ठी – सत्यवान सौरभ (बाल कविता)

चिट्ठी जब-जब आती है,

अलग सूचना लाती है।

 

चिट्ठी में सुख दुःख की बातें,

प्यार भरी इसमें सौगातें।

जहाज़, रेल, बस, नाव से,

मीलों तय कर आती है।

चिट्ठी जब-जब आती है।।

 

आता डाकिया घर के द्वार,

भरकर लिफ़ाफ़े में प्यार।

छोटे से कागज़ में लिपटी,

सन्देश नया सुनाती है।

चिट्ठी जब-जब आती है।।

 

चिट्ठी एक सुन्दर उपहार,

जोड़े सबके दिल के तार।

करके दुनिया भर की सैर,

बिना पैर चली आती है।

चिट्ठी जब-जब आती है।।

 

चिट्ठी में फरमाईश है,

रिश्तों की आजमाईश है।

हाल चाल कीबात पूछती,

प्रेम भाव सिखलाती है।

चिट्ठी जब-जब आती है।।

-डॉ. सत्यवान सौरभ, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

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