मनोरंजन

गीत – मधु शुक्ला

जगदम्बे आईं हैं जब से, भक्तों के निखरे आनन।

माता के स्वागत में उर के, दीप प्रज्वलित हैं पावन।

 

जहॉ॑ भक्त हैं वहीं भवानी, वास करें सब कहते हैं।

जिन्हें मिले माता की ममता, वे ही हर्षित रहते हैं।

जीवन नैया निर्बाध चले, प्रगट नहीं होती अड़चन…..।

 

नहीं देखतीं मातु भवानी, कपड़े, आभूषण, मेवा।

मातारानी के मन भाती , कपट रहित जन की सेवा।

जग जननी उपलब्ध करातीं, सारे जग को सुख साधन….।

 

मंगल जग का करने आतीं, भक्तों के संकट हरतीं ।

जय-जय ,जय जगदम्ब भवानी, आवाजें गूँजा  करतीं।

मॉ॑ के आंचल की छाया ही ,रोशन रखती जग आँगन……।

– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

अधूरी कविताएं – ज्योत्स्ना जोशी

newsadmin

जलते पुतले पूछते – डॉ सत्यवान सौरभ

newsadmin

मन की गिरहों में झांकती निशा की पुस्तक ‘उन्स’ – रेखा मित्तल

newsadmin

Leave a Comment