मनोरंजन

एहसास – ज्योति

प्रेम सच्चा अगर नहीं होता ।

राधे कृष्णा अमर नहीं होता।।

 

रासलीला रचायें जग में पर ।

नाम राधे मगर नहीं होता।।

 

धड़कनों में बसे है राधा के ।

फिर हो दूरी असर नहीं होता ।।

 

पास रख लो न अब धड़कनों के ।

मेरा दिल बेसबर नहीं होता ।।

 

अपने कान्हा से प्यार करती हूं।

“ज्येटी” उन बिन बसर नहीं होता।

– ज्योति श्रीवास्तव, नोएडा , उत्तर प्रदेश

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