ख़ाक में मिल गए महरवां जाते जाते ।
राह में गुम हुए कारवां जाते जाते ।
बोल जय हिंद सूली पे झूले भगत ,
देश हित में दिया इम्तिहां जाते जाते ।
लाख कोशिश न पहुँचूँ मैं मंजिल तलक ,
दुश्मनों ने किए इन्तहां जाते जाते ।
बे जुबानी मोहब्बत का क्या फायदा ,
दोस्ती के हुए तर्जुमां जाते जाते ।
अंजुमन में रहे हम क़फ़स की तरह ,
जल गए बे सबब आशियां जाते जाते ।
बात आयी मोहब्बत की वो रो पड़े ,
खार भी ले गए गुलसितां जाते जाते ।
जान “हलधर”अदब में फसी रह गयी ,
चुटकुले पा गए सुर्खियां जाते जाते ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून