मज़हब की उठती लहरों पर,ले अपनी नाव उतर जाते ।
बटवारा घर का रुक जाता ,बापू कुछ ऐसा कर जाते ।।
सब शक्ति परक प्रतिमानों पर , होता प्रचण्ड भारत मेरा ।
दुनिया में धाक अलग होती , दिखता अखण्ड भारत मेरा ।
उत्पादन से उपभोग तलक, सब अर्थ तंत्र अंदर होता ।
इतिहास बदल जाता बापू, भूगोल बहुत सुंदर होता ।
तब चीन सरीखे मुल्कों के ,दावे निर्मूल बिखर जाते ।।
बटवारा घर का रुक जाता ,बापू कुछ ऐसा कर जाते ।।1
गिलगित से गारो पर्वत तक ,बस भारत ही भारत होता ।
यदि सम्मुख आता चीन मुल्क वो दुनिया से गारत होता ।
भारत से तब टकराने की ,कोई नादानी ना करता ।
अमरीका जैसा देश , हमारे सम्मुख तब पानी भरता ।
सब पंख रूस,ब्रिटेन फ्रांस के ,अपने आप कतर जाते ।।
बटवारा घर का रुक जाता ,बापू कुछ ऐसा कर जाते ।।2
नेहरू के सम्मुख लोह पुरुष ,खुद किया आपने था दुर्बल ।
भगवान मान पूजा होती , यदि करते ना यह काज निबल ।
जिन्ना पटेल दोनों को यदि ,संयुक्त प्रधान चुना होता ।
भारत माता का दुनिया में ,वैभव तब कई गुना होता ।
नेहरू को समझाते बापू ,सारे मत भेद सुधर जाते ।।
बटवारा घर का रुक जाता ,बापू कुछ ऐसा कर जाते ।।3
अधिकांश कांग्रेस खेमों ने, मुखिया पटेल को माना था ।
नेहरू को गद्दी देने का , क्यों योग आपने ठाना था ।
जिन्ना को धन बटवारे का ,उदघोष आपका था बापू ।
इतिहास बताता “हलधर”को,ये दोष आपका था बापू ।
नकली जिद को छोड़े होते ,धरना देते या मर जाते ।।
बटवारा घर का रुक जाता ,बापू कुछ ऐसा कर जाते ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून