विश्वनाथ बाबा की नगरी,काशी जो जाता है,
भोलेबाबा के चरणों को, छोड़ नहीं पाता है।
मैल सभी मन के काशी में, माँ गंगा हर लेतीं,
मुक्ति मार्ग को सुलभ बनातीं, भक्ति भावना देतीं।
बम बम भोले की नगरी में, वास करे जो प्राणी,
जाप नहीं तजने पाती है, शिव का उसकी वाणी।
आशुतोष अपने भक्तों को, कभी निराश न करते,
काशी पति आशीष जिन्हें दें, निश्चित वे जन तरते।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश