मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

भरोसा गर नही तो दोस्ती  अच्छी नही लगती,

रहे आंखो मे कोई भी नमी अच्छी  नही लगती।

 

मेरे प्यारे सनम तेरी कमी अच्छी  नही लगती‌,

सिवा तेरे पिया अब जिंदगी अच्छी  नही लगती।

 

तुम्हारे बिन रहूं कैसे,नही समझे ये दिल मेरा,

बिना तेरे नही जीना हंसी अच्छी  नही लगती‌।

 

किया है प्रेम जब तुमसे निगाहे भी मिली तुमसे,

तेरे चेहरे पे अब ये बेरूखी  अच्छी  नही लगती।

 

अजब सा हाल अब मेरा कहूं किससे मैं अब दिल की,

सनम.  तेरी मुझे ये बेरूखी  अच्छी  नही लगती।

 

अंधेरे भी डराते हैं कहे क्या रोशनी भी अब नही भाती,

बिना मतलब की मुझको बेबसी अच्छी  नही लगती।

– रीता गुलाटी  ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

पर्दा उठता झूठ का – डॉo सत्यवान सौरभ

newsadmin

भूला जमान – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

ख्वाहिश – राधा शैलेन्द्र

newsadmin

Leave a Comment