बेटी का मान करो लोगो ।
इनका सम्मान करो लोगो ।।
किस्मत रगड़ो मत ऐड़ी से ।
आज़ाद करो अब बेड़ी से ।।
बेटों से कमतर आंको मत ।
अब रीति पुरानी हांकों मत ।।
ये रामायण ये गीता हैं ।
कलयुग की ये ही सीता हैं ।।
बेटों से कभी न झगड़ी हैं ।
हर काम काज में अगड़ी है।।
ये सामाजिक प्रणेता हैं ।
हर युग में रही विजेता हैं ।।
ये संस्कार की पूंजी हैं ।
ये संस्कृति की कुंजी हैं ।।
सरहद पर लड़ने जाएंगी ।
मंगल तक यान उड़ाएंगी ।।
हर जगह तिरंगा गाढेंगी।
दुश्मन का सीना फाड़ेंगी ।।
क्रिकेट में शतक लगाएंगी ।
खेलों में पदक दिलाएंगी ।।
माँ को सम्मान दिलाएंगी ।
बापू अभिमान बढ़ाएंगी ।।
इनको गोदी में आने दो ।
अपनी पहचान बनाने दो ।।
भारत माता की शान लली ।
इस जगती का सम्मान लली ।।
माने न कभी भी हार लली ।
हैं धरती का शृंगार लली ।।
झंझावात में पतवार लली ।
रण में लहरी तलवार लली ।।
ये यज्ञ वेदि की हैं भस्मी ।
बेटी दुर्गा बेटी लक्ष्मी ।।
बेटी विलियम बेटी चानू ।
बेटी चंदा बेटी भानू ।।
गंभीर बात सुन लो यारो ।
अब इन्हें कोख में मत मारो ।।
ये भारत माँ की पाँखें हैं ।
बेटी “हलधर” की आँखें हैं ।।
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून