मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

गमों को छोड़,  जमाने मे सब नही मिलता,

पुकार लो जो भी दिल से, वो कब नही मिलता।

 

खुदा की ये है दुआ,प्यार तुम पे आया है,

भले करीब है फिर भी अदब नही मिलता।

 

कहर करे है वो हरदम, दया नही करते,

तभी तो मेरी जरूरत पे रब नही मिलता।

 

भले किया है गिला यार आज भी तुमसे,

जमाने मे रिश्ता-ए-खूँ भी अब नही मिलता।

 

उलझ रही थी मैं दुनिया के मोह माया मे,

मिले सुकूँ हमे भी अब सबब नही मिलता।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

अब मंदिरों से सांई बाबा की विदाई प्रारंभ – मनोज कुमार अग्रवाल

newsadmin

प्रसिद्धि की बैसाखी बनता साहित्य में चौर्यकर्म – डॉ. सत्यवान सौरभ

newsadmin

नव वर्ष — राजू उपाध्याय

newsadmin

Leave a Comment