बात दिल की तुम्हे बतानी है,
इक कहानी तुम्हें सुनानी है।
यार दिल मे बड़ी सी उलझन है,
आज कह दूँ मिली निशानी है।
लग रहा बोझ आज सीने पर,
बात कहकर इसे भुलानी है।
खूबसूरत लगे हमे तुम तो,
आज लगता चढी जवानी है।
राह तकती मेरी ये आँखे भी,
आज बेटी हुई सयानी है।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़