neerajtimes.com – सादगीपूर्ण और गरिमामय परिधान के रूप में लोकप्रिय साड़ी अब आधुनिकता की दौड़ में भी आगे बढ़ती जा रही है। भारतीय नारी को गरिमा और सम्मान प्रदान करने वाली साड़ी की लोकप्रियता भारतीय उपमहाद्वीप को पार करके अब पश्चिमी देशों तक जा पहुंची है, जहां फैशनेबल अन्ना कुर्निकोवा और मेडोना से लेकर हिेलेरी क्लिंटन और चेरी ब्लेयर भी इसके आकर्षण से बच नहीं पायी है। ये ही नहीं बल्कि चर्चित टेनिस प्लेयर फैशनपरस्त मार्टिना नवरातिलोवा भी भारतीय साड़ी की मनमोहकता के वशीभूत स्वयं को इसे पहनने से न रोक सकी और कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में साड़ी में सज-संवरकर उपस्थित हुईं। नि:संदेह साड़ी ने इन महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए।
हमारे देश में चाहे चौदह वर्षीय किशोरी हो या नब्बे वर्षीय वृद्धा, कोई भी महिला साड़ी के आकर्षण से बच नहीं पाती है। भारतीय संस्कृति में रची बसी साडिय़ों ने भारतीय नारी को समाज में विशिष्ट स्थान एवं गरिमा प्रदान की है। भारत में साड़ी को कभी भी, कहीं भी पहनकर जाया जा सकता है। साड़ी एक विशिष्ट पहनावा है, जो नारी को गरिमा ही प्रदान नहीं करता, बल्कि उसे एक विशिष्ट पहचान भी देता है।
इतनी विशेषताओं के बावजूद यदि अवसर, स्थान, जलवायु एवं उम्र के अलावा शरीर की बनावट को ध्यान में रखकर साड़ी को पहना जाए तो वह नारी की सुंदरता को और भी निखार देती है। हमारे यहां लगभग हर प्रांत में साड़ी पहनने का प्रचलन है लेकिन अलग-अलग स्थान और अलग-अलग अवसर पर अलग-अलग तरह की साड़ी पहनना अधिक रुचिकर होता है। साड़ी पहनते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है, यदि आप इन बातों का ध्यान रखेंगी तो नि:संदेह आपका व्यक्तित्व और भी निखर उठेगा-
साड़ी पहनते समय सबसे पहले अवसर, मौसम तथा अपने शरीर की बनावट का ध्यान रखें। यदि आप बाजार या ऑफिस जा रही हैं तो सिंथेटिक साडिय़ां पहनना उपयुक्त रहता है। गर्मी के मौसम में सूती साडिय़ां आरामदेह रहती हैं। इसी तरह सर्दियों में रेशमी साड़ी पहनी जा सकती है, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप कार्यालय में ज्यादा चमकीली एवं भारी साडिय़ां पहनकर न जाएं। हल्के कलर वाली साडिय़ां आप अपने कार्यस्थल पर पहनकर जाएंगी तो नि:संदेह आपकी गरिमा में चार चांद लग जाएंगे।
बनारसी, कांजीवरम् या चंदेरी की भारी भरकम साडिय़ों में आप शादी विवाह के अवसरों पर खूब जंचेंगी। ऐसी साडिय़ां यदि आप सीधा पल्ला लेकर बांधेंगी तो निश्चय ही आपका व्यक्तित्व सबका मन मोह लेगा।
जन्मदिन एवं सगाई के कार्यक्रमों में गहरे रंग के मध्यम कलर वाली साड़ियां अच्छी लगती हैं।
साड़ी पहनते समय उम्र का ख्याल अवश्य रखें। पचास वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं पर हल्के रंग बहुत अच्छे लगते हैं। इस आयु वर्ग की महिलाएं यदि गुलाबी, हल्के पीले या क्रीम रंग की साड़ियां पहनें तो सभी उनके रंग संयोजन के कायल हो जाएंगे। अपने शरीर का ध्यान रखते हुए वस्त्रों का चयन करना केवल फैशन का ही विषय नहीं है, बल्कि यह आपके सुसंस्कृत होने का परिचायक भी है। यदि कोई बहुत दुबली-पतली महिला सिंथेटिक साड़ी पहनेगी तो वह और ज्यादा दुबली लगेगी इसलिए ज्यादा दुबली महिलाओं को सूती, वायल, डोरिया या कॉटन सिल्क की साडिय़ां पहनना चाहिए। फूली-फूली साड़ी पहनने से उनका दुबलापन काफी हद तक छिप सकता है। इसी प्रकार थुलथुल शरीर वाली महिलाओं को शरीर से चिपकी हुई साड़ी पहनना चाहिए।
साड़ी को सलीके से पहनने के लिए केवल उनका रंग ही नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता और रख-रखाव पर भी ध्यान देना आवश्यक है। आजकल शिफॉन और जार्जेट जैसे कपड़ों की साडिय़ां प्रचलन में हैं, जिनको ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती लेकिन फिर भी पहनते समय हमेशा साफ-सुथरी, प्रेस की हुई एवं सही फाल लगी हुई साड़ी ही प्रयुक्त करें। फॉल हमेशा धोकर लगवायें अन्यथा बाद में फॉल के सिकुडऩे पर साड़ी भद्दी लगने लगेगी। इसी तरह साड़ी के साथ उस पर सर्वाधिक उपयुक्त लगने वाला ब्लाउज उपयोग करें और ब्लाउज हमेशा इस्त्री किया हुआ ही पहनें। ब्लाउज की सिलाई भी एकदम सही होना चाहिये। अधिक चुस्त ब्लाउज कई बीमारियों को जन्म देता है, तो ढीला-ढाला ब्लाउज आपको फूहड़ की संज्ञा दिलवा सकता है।
ऊंची-नीची, अस्त-व्यस्त तरीके से पहनी गई साड़ी भी देखने में अच्छी नहीं लगती, इसलिए जब भी साड़ी पहनें उसे अच्छी तरह से व्यवस्थित करके पहनें। इसके लिए पहले साड़ी का पल्ला जमाकर उसमें पिन लगा लें बाद में बाकी की साड़ी व्यवस्थित करें। साड़ी में पिनों का उपयोग यथासंभव कम ही करें, इससे साड़ी के फटने की संभावना बनी रहती है।
साड़ी अनेक तरीकों से पहनी जा सकती है। वैसे आमतौर पर सीधे एवं उल्टे पल्ले की साडिय़ां ही पहनी जाती हैं। ऑफिस, बाजार एवं अन्य सामान्य अवसरों पर उल्टे पल्ले वाली साड़ी अच्छी लगती है तो शादी-विवाह, जन्मदिन या अन्य पार्टियों में सीधे पल्ले की साडिय़ां मनमोहक लगती हैं।
विशिष्ट अवसर यदि घर में हो तो आप साड़ी को लहंगे का रूप देकर भी पहन सकती हैं। इसी तरह आजकल बंगाली एवं गुजराती शैली की साडिय़ां भी प्रचलन में हैं। आधुनिक पार्टियों में भी साडिय़ों का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या रॉय से लेकर करीना कपूर ,प्रियंका चोपड़ा,आलिया भट्ट और सोनाक्षी सिन्हा तक साडिय़ां पहनकर सौन्दर्य बरसा रही हैं। आप भी उनकी तरह तड़क-भड़क वाली पारदर्शक साड़ियां पहनकर अपना सौंदर्य बिखरा सकती हैं, पर थोड़ा-सा ध्यान रखिए सलीके का, ताकि आपकी गरिमा और सम्मान बना रहे।
साड़ी पहनने के बाद जरूरी हैं उससे मेल खाते जेवर, चूड़ी-कंगन एवं पर्स। यदि आप साड़ी के साथ मेचिंग वाले जेवर और चूडिय़ां पहनें साथ ही साड़ी से मिलता-जुलता पर्स अपने पास रखें तो कोई भी आपसे नजरें नहीं हटा सकेगा। माहौल को और खूबसूरत बनाने के लिये आप भीनी-भीनी खुशबू का भी सहारा ले सकती हैं। बालों में लगाये खूबसूरत गजरे और थोड़ा-सा परफ्यूम, फिर देखिए माहौल की रंगत, पार्टी में बस आप ही आप दिखेंगी।
इन सबके साथ साड़ियों की सही देखभाल करना कभी न भूलें। उन्हें हमेशा साफ-सुथरा एवं सलवटों रहित रखें। बक्से में डालकर साडिय़ों को ऐसे ही सालों नहीं रखी रहने दें, बल्कि उन्हें समय-समय पर हवा एवं धूप भी दिखाती रहें, ताकि वे अधिक समय तक चल सकें। साड़ी भारतीय नारी की गरिमा, मर्यादा, सम्मान और आदर की प्रतीक बन चुकी है। नारी सौंदर्य में भी साड़ी चार चांद लगा देती है। यदि आप सलीके से साड़ी पहनकर सजेंगी- संवरेंगी तो आपकी सुरुचि, सादगी और सौंदर्य की सभी प्रशंसा करेंगे। (विनायक फीचर्स)