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माँ भवानी – कमल धमीजा

आ गई हूँ माँ भवानी मैं तिरे दरबार में ।

कौन है तेरे सिवा अब तू बता परिवार में।।

 

पास बैठू माँ तुम्हारे मैं तिरा सजदा करूँ।

इक नज़र मुझ पर भी डालो माँ ज़रा तुम प्यार में।।

 

इक तुम्हीं हो आसरा औ इक तुम्हीं उम्मीद हो।

कुछ नहीं है पास मेरे सब तिरे अधिकार में।।

 

आरज़ू इतनी तुम्हीं से कर मिरी मंजूर माँ।

फिर न लाना तुम मुझे इस मतलबी संसार में।।

 

लोग कहते हैं मुझे खिलता ‘कमल’ तालाब का।

याद आती हूँ सभी को माॅं तिरे त्योहार में।।

– कमल धमीजा, फरीदाबाद, हरियाणा

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