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देश की व्यवस्थाएं – अंजली रुहेला

neerajtimes.com – यूजीसी नेट ओर नीट की परीक्षा रद्द कर दी गयी है, क्योकि एक परीक्षा में पेपर लीक हो गया और दूसरी परीक्षा में पेपर लीक होने की आशंका जताई जा रही है, देश के एजुकेशन सिस्टम में क्या हो रहा है, इससे तो देश की पूरी व्यवस्था चरमरा जाएगी, जो भी व्यक्ति ऐसे कामो से जुड़े हुए है वो देश को कितना बड़ा नुकसान पहुँचा रहे है, जब कोई व्यक्ति किसी पद की काबिल ही नही है वो उस पद पर बैठ जाएगा, तो क्या बिना काबिलियत के वो उस पद की गरिमा को बना पायेगा, उस पद के कामो को कर पायेगा, कभी भी नही,  ठीक उसी तरह जैसे कोई व्यक्ति बिना शिक्षित हुए शिक्षक बन जाये तो सोचो वो कैसी शिक्षा बच्चो को देगा, ठीक उसी प्रकार मेड़ीकल की परीक्षा भी अगर नकल करके पास हो गए तो सोचो देश और देश के वासी किस हालत में चले जायेंगे।

सारा सिस्टम देश के जिम्मेदार लोगों का है सरकार का काम है  ये सब मैनेज करना  लेकिन हमारे देश मे तो सरकार ही जोड़तोड़ के बनाई जा रही, सब अपना फायदा देख रहे सब अपने पद को लेकर चिंतित है देश के कौन से पद की गद्दी पर मैं बैठु सबको इसकी चिंता है, देश की,  देशवासियो की किसी को कोई चिंता नही, हालात अगर ऐसे ही चलते रहे तो वो दिन दूर नही जब देश गर्त में चला जायेगा, वो भी सरकार में बैठे चंद लोगो की वजह से….

पूरे देश के अंदर बहुत सारी ऐसी व्यवस्था है जो केवल ओर केवल देश के जिम्मेदार लोगों की वजह से चरमरा गई है, आजकल कुछ राज्यो में अतिक्रमण ओर अवैध निर्माण के नाम से लोगो को घर से बेघर किया जा रहा है, जबकि कई कई पीढ़िया उसमे अपना जीवन पूरा करके प्रभु की शरण मे जा चुके है और अब इतने सालों बाद वे मकान वे जमीन अवैध कैसे हो गये, अगर वो अवैध थे तो उस समय एक्शन क्यो नही लिया गया, उस समय उस गलत काम को रोका क्यो नही गया, क्या समझा जाये कि कैसे उस समय सरकार में बैठे लोगों ने अपने ये कार्य पूरे किए होंगे।

जब देश में चुनाव का समय आता है तो बहुत सारे अलग अलग पदों पर लोग अपने आप को नामित करते है और भरोसा दिलाते है देश की जनता को कि वो हर संभव देश की जनता का ख्याल रखेगे उनको हर सुविधा उपलब्ध कराएंगे, देश मे कोई भ्रष्टाचार नही होने देंगे, उनके इन वादों को सुनकर उनके ऊपर भरोसा करके भोलीभाली जनता उनको पदों पर सजा देती है और फिर ये हाल होता है जो आज हो रहा है कही परीक्षाएं रद्द की जा रही है, कही घर तोड़े जा रहे है ओर भी ना जाने क्या क्या…

सारी व्यवस्था अगर इस तरह से ही चरमराती रही तो देश को अर्श से फर्श पर आने में देर नही लगेगी।

ये सोचनीय विषय है ? – अंजली रुहेला, अंबेहटा पीर, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

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