वो बुरा है या भला है आपको तकलीफ़ क्या ।
शांत है या मनचला है आपको तकलीफ़ क्या ।।
वो गुलाबी फूल को नीला कहे या बैंगनी ,
रंग भेदों ने छला है आपको तकलीफ़ क्या ।
चांद ने धोखा दिया तो चांदनी भी मौन थी ,
दीप बन वो ही जला है आपको तकलीफ़ क्या ।
सिंधु है या झील है वो या बड़ा तालाब है ,
तंग या चौड़ा तला है आपको तकलीफ़ क्या ।
वो हरड़ है या बहेड़ा या बताओ आंवला ,
कुल मिलाकर तिरफला है आपको तकलीफ़ क्या ।
शेर वजनी कह रहा या छंद की कारीगरी ,
ठोस है या खोखला है आपको तकलीफ़ क्या ।
वो गरीबों के सहारे हो गया धनवान क्यों ,
आदमी वो दोगला है आपको तकलीफ़ क्या ।
देश में गुजरात के खाने बहुत चलने लगे ,
फाफड़ा या ढोकला है आपको तकलीफ़ क्या ।
सामने जिनके झुका सर पैर रख के चढ़ गए ,
जाट ‘हलधर’ बावला है आपको तकलीफ़ क्या ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून