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ग़ज़ल – रीता गुलाटी

ये नाव मेरी अब तो किस्मत के हवाले हैं,

सब सौंप दिया तुमको,तुमसे ही शिवाले हैं।

 

कुछ लोग जमाने के इंकार मे मरतें हैं,

तड़फाते सभी जन को वो प्यार न करतें हैं।

 

जब रंग चढा तेरा,सब रंग हुऐ फीके,

है प्यार का रंग सच्चा,प्रेमी जिसे जीते हैं।

 

हम तुमसे वफा चाहे,सुनते हो कहाँ मेरी,

बिन यार तुम्हारे  हम ढूँढे वो दिवाने हैं।

 

नादान बड़े दिल के,अंदर से वो काले हैं,

रहते है परेशां वो जो तख्त सम्भाले हैं।

 

क्यों बात हमारी तुम सुनते न सताते हो।

सरकार मुहब्बत मे रहते न अकेले हैं।

 

तुम प्यार मे डुबे हो,भूले हो पुराना सब,

कुछ लोग जमाने के नफरत मे ही खोये हैं।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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