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ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर

लेखिनी जिंदा हमारी सत्य को मरने न देंगे ।

राजनैतिक  झूँठ अपने देश में तरने न देंगे ।

 

खो दिया हमने उसे तो पास अपने क्या बचेगा ,

राक्षसों को राज अब इस देश में करने न देंगे ।

 

वो किसानों का सहारा वो जवानों की जवानी ,

देश के इस पुष्प को हम बाग से झरने न देंगे ।

 

कौन फिर आतंक को बारूद से संदेश देगा ,

पाक के सौदागरों को जहर ये भरने न देंगे ।

 

देश का उनवान है वो संघ की  संतान है वो ,

तप करम हम देवता का पाक को हरने न देंगे ।

 

वो गया तो जान लेना देश का क्या हाल होगा ,

राज गद्दी पर गधों को पैर हम धरने न देंगे ।

 

सिर्फ दिल्ली ही नहीं हर शहर उसकी राजधानी ,

गांव की चौपाल ‘हलधर’ महल से डरने  न देंगे ।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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