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ग़ज़ल – रीता गुलाटी

मुझे प्यार तेरा मिला तो नही है,

लगे आज हमसें जुदा तो नही है।

 

भली या बुरी हूँ पता तो नही है,

मिरा इश्क भी बेवफा तो नही है।

 

मुहब्बत को तेरी जिये जा रही थी,

बिना प्यार अब हमनवां तो नही है।

 

चलन बेरूखी का हमे दिख रहा था,

बता अब तु मुझसे खफा तो नही है।

 

दगा प्यार मे तू दिये जा रहा था,

कभी सोचती जलजला तो नही है।

 

हमेशा किया प्यार हमने तुम्ही से,

लगे आज हमको नशा तो नही है।

 

भली या बुरी हूँ पता तो नही है,

मिरा इश्क भी बेवफा तो नही है।

 

सुनो बात दिल की कहे ऋतु हँसी मे,

मुहब्बत ये तेरी सजा तो नही है।

✍️ रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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