(1) ” ई “, ईश करते प्रार्थना वंदन नमन
नित भजते हैं श्रीहरि नाम सुमिरन !
बनाए रखना प्रभु हमपे कृपा दया..,
करे हर धड़कन आपका ही संकीर्तन !!
(2) ” श् “, श्वासों-श्वासों में बसते हो आप
हो आप ही हमारी परम चेतना !
आपसे मिलती नित्य नवप्रेरणा….,
जो भगाए चले हमारी सभी वेदना !!
(3) ” व “, वर दो प्रभु बना रहे सदविवेक
ताकि तोड़ सकें तमसावृत कारागार !
है आपसे मात्र इतनी ही विनती….,
कि,बनाए रखें सदा कृपादृष्टि अपार !!
(4) ” र “, रमते आपकी भजन सरिता में
और निश्चल निर्मल बनें रहते !
हो आप बड़े ही विरल सरल….,
सुन पुकार भक्तों की दौड़े चले पड़ते !!
(5) ” ईश्वर “, ईश्वर आपकी स्तुति भक्ति करते
कभी नहीं थकते दिन हो या रात !
आपकी प्रार्थना से मिले शक्ति ऊर्जा….,
जो करे जीवन में आनंद की बरसात !!
(6) ” ईश्वर “, ईश्वर है आपसे इतनी ही अर्ज़
कि, बनाए रखना आप अपनी सेवा में !
कभी करना नहीं मुझे विरत अलग…..,
मिलता आनंद प्रभु आपकी प्रार्थना में !!
(7) ” ईश्वर “, ईश्वर आपके दिव्य दर्शन कर
हो जाता हूँ आनंद से विभोर !
चलूँ बसाए सदैव आपको उर में….,
नित देखता हूँ खिलती जीवन भोर !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान