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ईश्वर – सुनील गुप्ता

(1) ” ई “, ईश करते प्रार्थना वंदन नमन

नित भजते हैं श्रीहरि नाम सुमिरन  !

बनाए रखना प्रभु हमपे कृपा दया..,

करे हर धड़कन आपका ही संकीर्तन !!

(2) ” श् “, श्वासों-श्वासों में बसते हो आप

हो आप ही हमारी परम चेतना  !

आपसे मिलती नित्य नवप्रेरणा….,

जो भगाए चले हमारी सभी वेदना  !!

(3) ” व “, वर दो प्रभु बना रहे सदविवेक

ताकि तोड़ सकें तमसावृत कारागार !

है आपसे मात्र इतनी ही विनती….,

कि,बनाए रखें सदा कृपादृष्टि अपार !!

(4) ” र “, रमते आपकी भजन सरिता में

और निश्चल निर्मल बनें रहते  !

हो आप बड़े ही विरल सरल….,

सुन पुकार भक्तों की दौड़े चले पड़ते !!

(5) ” ईश्वर “, ईश्वर आपकी स्तुति भक्ति करते

कभी नहीं थकते दिन हो या रात  !

आपकी प्रार्थना से मिले शक्ति ऊर्जा….,

जो करे जीवन में आनंद की बरसात !!

(6) ” ईश्वर “, ईश्वर है आपसे इतनी ही अर्ज़

कि, बनाए रखना आप अपनी सेवा में  !

कभी करना नहीं मुझे विरत अलग…..,

मिलता आनंद प्रभु आपकी प्रार्थना में !!

(7) ” ईश्वर “, ईश्वर आपके दिव्य दर्शन कर

हो जाता हूँ आनंद से विभोर   !

चलूँ बसाए सदैव आपको उर में….,

नित देखता हूँ खिलती जीवन भोर  !!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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