प्रकृति को मनुज का सहारा बनाया,
उसी हेतु संसार सारा बनाया।
दिया ज्ञान जिससे करे व्यक्ति उन्नति,
मगर ज्ञान ही ने नकारा बनाया ।
मनुज प्रेम सीखा हृदय प्राप्त कर के,
इसी प्रेम ने मन बिचारा बनाया।
हमेशा किया ईश सबकी भलाई,
न हमने उसे पर दुलारा बनाया।
झुका शीश उसका करें शुक्रिया हम,
हमें वह धरा का सितारा बनाया।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश