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तेरा, मेरा – दीप्ति शुक्ला

neerajtimes.com – अपार सौंदर्य का अनुभव कराती ,बहुत ही सुंदर उपमानों से सुसज्जित रचना । पावस के बहते जल में प्रदीप्त  दीप, धैर्यवान धरती और उस पर उच्छृंखल नदियां ,सूर्य की किरणों का जल में झिलमिला कर प्रकाशित करना , गंगा में देव दिवाली अर्ताथ घनिष्ठ संबंध तुम्हारा मेरा । बहुत ही सुंदर रचना और उत्कृष्ट भाव।

तेरा , मेरा रिश्ता –   तेरा प्रेम ज्यो महीन सी दरार से जल अंतस मे गहरे प्रवेश कर गया हो , ज्यों प्रकाश पानी में घुल कर जल् को प्रकाशित कर गया हो । तू, मैं से हम हुए इस प्रेम भरे रिश्ते से कितने ही रिश्तों को प्रेम मिला । बहुत ही गूढ़ अर्थ आपकी रचना के । बहुत सुंदर।

विषय – शब्द आधारित काव्य  शब्द – तेरा मेरा  समीक्षिका – भावना भारद्वाज

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