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जानिए, बैठे-बैठे पैर हिलाना क्यों होता है बुरा – पं. विशाल दयानंद शास्त्री

neerajtimes.com – वैदिक काल से ही कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना हमारी सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों के लिए ही फायदेमंद रहता है। इन नियमों के आधार पर ही परंपराएं बनी हैं। सभी परंपराओं के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व बताए गए हैं। प्रतिदिन हम कई छोटे-बड़े सामान्य कार्य करते हैं, जिनमें से कुछ कर्म वर्जित किए गए हैं, जिनका संबंध हमारी सुख-समृद्धि से होता है।

अक्सर घर के वृद्धजनों द्वारा हमें ऐसा करने के लिए मना किया जाता है कि बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए। वैसे तो यह सामान्य सी बात है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक कारण है। स्वभाव और आदतों का प्रभाव हमारे भाग्य पर भी पड़ता है।

शास्त्रों के अनुसार, पैर हिलाने से धन का नाश होता है । धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। शास्त्रों में इसे अशुभ कर्म माना गया है। पैर हिलने की आदत के कारण धन संबंधी कार्यों में विलंब होता है एवं पैसों की तंगी बढ़ती है ।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह आदत हानिकारक है। बैठे-बैठे पैर हिलाने से जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती है। पैरों की नसों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पैरों में दर्द हो सकता है। इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ सकता है । इन कारणों के चलते इस आदत का त्याग करना चाहिए। पैर हिलाने की आदत आपके व्यक्तित्व में तो गिरावट लाती ही है साथ ही सेहत के लिहाज से भी यह ठीक नहीं है।

ज्योतिष के अनुसार ऐसा करने से आपको हो सकता है नुकसान। इसे शुभ नहीं माना जाता। ऐसा करने से निगेटिविटी आती है और सभी जगहों पर नुकसान हो सकता है, चाहे वो आपका मान-सम्मान हो या फिर पैसों का ही नुकसान हो। इस एक आदत से हमें बहुत सारे नुकसान हो सकते हैं, साथ ही ये आपकी हेल्थ के लिए भी खराब है, डॉक्टर के हिसाब से ऐसा करने से हेल्थ प्रॉब्लम भी हो सकती है,

हमने देखा हैं, बहुत से लोगों को बैठे-बैठ पैर हिलाने की आदत होती है। वो कहीं भी बैठे हों अपना पैर आगे पीछे हिलाते रहते हैं। कई लोग लेटे-लेटे भी पैरों में एक अजीब सा कंपन पैदा करते रहते हैं।

घर में कोई बड़े-बूढ़े हों तो वो व्यक्ति को इस आदत के लिए तुरंत टोक देते हैं। वैसे तो यह सामान्य सी बात है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण भी हैं। प्रतिदिन हम कई छोटे-बड़े सामान्य कार्य करते हैं, जिनमें से कुछ कर्म हमारी संस्कृति में वर्जित माने गए हैं, जिनका संबंध हमारी सुख-समृद्धि से होता है। अक्सर घर के वृद्धजनों द्वारा मना किया जाता है कि बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए।

स्वभाव और आदतों का प्रभाव हमारे भाग्य और स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पूजन कर्म या अन्य किसी धार्मिक कार्य में बैठा है तो उसे पैर नहीं हिलाना चाहिए । ऐसा करने पर पूजन कर्म का पूरा पुण्य नहीं मिल पाता है।

बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें एक स्थान पर बैठे हुए पैर हिलाने की आदत होती है। यह आदत इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि कई बार तो पता ही नहीं चलता कि पैर हिलाने का यह सिलसिला कब शुरू हो जाता है। जब दूसरे आपको टोकते हैं, तब आपको पता चलता है कि आप तो बैठे-बैठे अपने पांव हिला रहे थे । हालिया शोध के बाद डॉक्टरों का कहना है कि यह आदत से ज्यादा एक बीमारी का संकेत है, जो आगे चलकर गंभीर परिणाम पैदा करती है । मेडिकल साइंस में रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के नाम से कुख्यात इस बीमारी का कारण नींद न आना है।

जब व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होता है या बचपन से ही उसे नींद ना आने की बीमारी है तो कुछ समय बाद वह रेस्टलेस लेग सिंड्रोम की चपेट में चला ही जाता है । इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को कार्डियोवैस्कुलर संबंधित बीमारियां अपना शिकार बना लेती हैं और लगातार पैर हिलाते रहने से ब्लड प्रेशर के साथ-साथ दिल की धड़कनों की गति भी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से आगे चलकर जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।

यदि हम शाम के समय बैठे-बैठे पैर हिलाते हैं तो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। धन संबंधी कार्यों में विलंब होता है एवं पैसों की तंगी बढ़ती है ।

पुराणों के अनुसार शाम के समय धन की देवी महालक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर रहती हैं, ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बैठे-बैठे पैर हिलाता है तो देवी उससे नाराज हो जाती हैं । लक्ष्मी की नाराजगी के बाद धन से जुड़ीं परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । अब आप ही सोचिए कि हमारे बड़े बुजुर्ग जो कहते हैं, क्या वह गलत है?

विदेशी संस्कृति को अपनाने की जिद में हम अपनी संस्कृति और संस्कारों से दूर भागने लगे हैं।

जो बातें हमारे धर्मग्रंथों में कही गयी है, वही बातें आज ये वैज्ञानिक विज्ञान की किताबों में कह रहे हैं।

मानो या न मानो, हिंदू धर्म और संस्कृति पूर्णत: विज्ञान पर आधारित है। (विभूति फीचर्स)

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