मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

मेरे यार मुझको हँसाते रहे हैं.

खुशी यार तुमसे भी पाते रहे हैं।

 

हकीकत वो सबसे छुपाते रहे हैं.

मुखौटे लगाकर सताते रहे हैं।

 

नही पास मेरे तुम्हें ढूँढती हूँ,.

वो सपनो मे आकर सताते रहे हैं।

 

दिया यार गम भी, हमे जिंदगी में,

इसी गम मे फिर मुस्कुराते रहे है।

 

कहाँ जान पाया, हमे ये जमाना?

वफा हम सदा ही निभाते रहे हैं।

 

बताए तुम्हे यार किस्से वफा के,.

तुम्हे गीत गाकर रिझाते रहे हैं.।

 

खुला दिल का आँगन तके राह तेरी,.

हमीं से  निगाहें  चुराते  रहे  हैं.।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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