( 1 ) ” मेरे “, मेरे
अँगना पधारो मेरे रामजी
कि, आई है फिरसे शुभ रामनवमी !
करता हूँ करबद्ध आपसे यही विनती….,
कि, मन अयोध्या बाट जोह रहा है आपकी !!
( 2 ) ” अँगना “, अँगना
सजा-धजा है कबसे रामजी
और प्रतीक्षा कर रहा मन लिए सुमनहार !
बेताव हैं श्रवणेंद्रियाँ सुनने को मधुर पदचाप….,
और पलक पाँवड़े बिछाए हुए खड़ा हूँ द्वार !!
( 3 ) ” पधारो “, पधारो
संग सिया लखन रामजी
सेवा के लिए स्वयं हनुमान हूँ बना !
उनिंदी आँखों से रहा देखता एकटक द्वार…,
अब आपकी कृपा प्रेम दया का याचक हूँ यहाँ !!
( 4 ) ” मेरे “, मेरे
प्रभु आराध्य देव रामजी
चले आओ किए बिना देरी नागा !
है आपका इंतजार सभी को सदियों से….,
लगता अबकी बार फ़िरसे है सौभाग्य जागा !!
( 5 ) ” रामजी “, रामजी
हो आप बड़े ही दयालु
और कृपा सिंधु प्रेम के अज़स्त्र सागर !
जगतपति जग वंदनीय जगत के पालनहार..,
आप जैसा ना कोई रक्षक, ना रघुवरसा संसार!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान