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माँ आई मेरे द्वारे – सुनील गुप्ता

( 1 ) माँ

चली आयीं

मेरे घर द्वारे

करके सोलह श्रृंगार बनके अति सुंदर  !

लिए हाथों में पूजन का थाल सजा हुआ…,

कर रहा था कबसे इस शुभघड़ी का इंतजार !!

( 2 ) माँ

आईं खिलखिलाते

हर्षाते मुस्कुराते द्वारे

दिल गाए और मन झूमें बनके मयूर  !

चहुँओर है खिला-खिला मौसम सारा….,

आओ, चलें बाँटते आनंद खुशियाँ अपार !!

( 3 ) माँ

साथ रहेंगी

नौ दिन पूरे

दिल खोल के करूँगा स्वागत सत्कार  !

तनिक ना कोई भी कौर कसर छोडूंगा…,

और चढ़ाऊंगा भोग प्रसादी सुंदर फलाहार !!

( 4 ) माँ

आकर बरसाएंगी

सरसाएंगी कृपा दुआएं

और देंगी अपना शुभाशीर्वाद लाड़ प्यार !

आओ,सभी मिलके उतारें माँ की आरती..,

और करें नित्य शुभ पावन दर्शन अति मनोहारी!!

( 5 ) माँ

हैं परमधाम

पूजनीय आद्यादेवी

करती चलें सभी का यहाँ उद्धार !

आओ, पूजें माँ भगवती सरस्वती को नित्य..,

हैं माँ जगतधातृ अम्बे शक्ति का स्त्रोत अपार !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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