मनोरंजन

प्रीतिमय आकाश ले लो – अनुराधा पांडेय

एक मुट्ठी ही सही पर,

प्रीतिमय आकाश ले लो।

क्या करोगे ले निखिल जग?

एक छोटा सा निलय हो।

मात्र जिसमें नित्य दिखते ,

प्रेम पूरित दो हृदय हो।

गीत गुंजित दिन निशा हो…

छंद में अनुप्रास ले लो।

एक मुट्ठी ही सही पर ,

प्रीतिमय आकाश ले लो…

 

साधना ऐसी चपल हो ,

जो शिला को मोम कर दे।

इक शलभ हो इक शिखा हो,

मग्न जो तन होम कर दे।

देवता हो नत गगन से—

मोक्षमय अरदास ले लो।

एक मुट्ठी ही सही पर,

प्रीतिमय आकाश ले लो।

– अनुराधा पांडेय, द्वारिका, दिल्ली

Related posts

कह दें मन की बात – सुनील गुप्ता

newsadmin

कसम खुदा की – गुरुदीन वर्मा

newsadmin

प्रेरणा हिंदी प्रचार सभा में सुधीर श्रीवास्तव को संरक्षक नियुक्त किया गया – संगम त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment