वर्ष नूतन आ गया लो प्यार के दीपक जलायें ।
घिर रहा जो हर दिशा में उस अँधेरे को भगायें ।।
बादलों में रवि छुपा है साँझ होने से भी पहले ।
युद्ध के बारूद से यूरोप के सब देश दहले ।
दीप संयम के जलाकर बांध दें तम की बलायें ।।
गरल भरती दृष्टियों का तोड़ दें झूठे दिलाशे ।
विश्व को सदभाव के वितरित करें मीठे बतासे ।
वेद मंत्रों के सहारे द्वन्द्व को जड़ से मिटायें ।।
तोड़ दें हम धुंध कुहरे से बनी दीवार सारी ।
विश्व भर में शांति हो बस ये रहे कोशिश हमारी ।
सींच दीपों के उजाले जोड़ देवें श्रंखलायें ।।
युद्ध का पैगाम है या ये नए युग का सगुन है ।
भारती के भाल पर तो विश्व गुरु बनने की धुन है ।
हिन्द “हलधर” का करेगा तय सभी दुर्गम दिशायें ।।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून