(1) ” दि “, दिखाके हमें सत्य का पथ
बीच राह में छोड़ जाना मत !
एक आप ही हो हमारा आसरा.,
जिनसे सीखा है हमने बहुत !!
(2) ” व् “, व्यस्त रहती हो आप यहां पे
चला रही हो साहित्यिक मंच को !
पटल पे बनी रहती सदा सक्रिय.,
और श्रीराम कृपाएं मिल रही आपको !!
(3) ” यां “, यांत्रिकी सा हो चला है जीवन
मची हुई है आपाधापी चहुँ ओर !
ऐसे में आप बनी हो सदप्रेरणा.,
ले चल रही हो आनंद मार्ग पर !!
(4) ” ज “, जल में रहकर ही सदैव यहाँ
खिलता आया है पुष्प कमल !
और आप बनी रहोगी हमेशा ही..,
दिव्यज्ञान ज्योति पुंज हरेक पल !!
(5) ” ली “, लीक से हटके ही सदैव यहाँ
किया है आपने उत्तम कार्य !
श्रीराम साहित्य सेवा संस्थान से जुड़के,
बनी हो सभीके लिए आनंद पर्याय !!
(6)” दिव्यांजली “,है एक आशा की किरण
जिसके साए में खिलते, शुभानन सभी के !
आपको मिलता रहेगा सहयोग हर पल-क्षण,
यही करते आपसे वादा हम सभी मिलके !!